खुदा का दखल....


काश के होता गुमां,
'छीन लूंगा तुम्हे खुदा से'
करते वादा तुमसे.

के तुम मुझे,
खुदा बना खुद ही,
छोड़ जाओगे यूँ.

तो बजाये तुम्हारी,
बेखुदी से मोहब्बत करता.

ना होता तुम्हारी,
जुदाई का खलल.
ना मुझमे किसी,
खुदा का दखल होता.

2 टिप्पणियाँ:

वर्तिका said...

waah!waah! waah!

wat a thought.... it just compelled me to comment wid out even a second thought...

Avinash Chandra said...

Thank u so much for coming....I'm highly thankful