लिखूं तो...


स्वप्न लिखूं,
या श्वास लिखूं.
कंठ लिखूं या,
प्यास लिखूं.

मिथ्या दर्पण,
सत-प्रतिबिम्ब,
धोखा या,
विश्वास लिखूं.

चहक लिखूं या,
महक लिखूं.
बहुत दूर या,
पास लिखूं.

शांत मृदुल,
और कांतिमय.
या फिर हो,
बदहवास लिखूं.

अम्बर पर,
साधारण सा.
या धरती पर,
ख़ास लिखूं.

कल का टूटा,
सा एक सपना.
या कल की,
कोई आस लिखूं.

बबूल लिखूं,
गुलाब लिखूं.
बैठ दूब की,
घास लिखूं.

मीत बिछोह की,
व्याकुल पीड़ा.
मिलन का या,
आभास लिखूं.

तेज सूर्य का,
मील के पत्थर.
या विजयी,
आकाश लिखूं.

दूँ मतलब,
कविता को कोई.
या तो फिर,
बकवास लिखूं.

यूँ तो विषय,
बहुत हैं अम्मा.
मैं तुम पर ही,
काश लिखूं.

3 टिप्पणियाँ:

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

वर्तिका said...

waah ant ne to ekdam kaaya palat kar daalaa....