चिंगारी-मशाल,
या फटती पौ.
दीप-चाँद,
या तारे सौ.
भाषा तू,
वर्तनी मेरी.
अंगूठा-अनामिका,
तर्जनी मेरी.
बाण में और,
कटारों में.
बचपन के,
गलियारों में.
रक्त के हर,
एक धारे में.
आँख से बहते,
पारे में.
कर्ण का तू ही,
गुंजन है.
स्पर्श है तू ही,
स्पंदन है.
हार का बल,
तू जीत में है.
तू सुर में है,
संगीत में हैं.
साँसों की तू,
वर्तिका मेरी.
अम्मा सबमे,
तेरी लौ.
4 टिप्पणियाँ:
अम्मा वारी-वारी जाती है
अपने प्रकाश की प्रतिछाया
तुझमें पाती है
सिर्फ़ नाम के लिए छोटी ..अर्थों में बहुत गहरी और बहुत बडी ..आभार
sochti hoon maa agar padh lein aapki yeh rachnaaein (ho saktaa hai aapne share bhi ki hon unse) to unke dil kaa haal kaisaa hota hogaa... :)
Aap sabka bahut shukriya...
Vartika ji...Maa ko bataya to nahi par maa sab jaanti hi hongi :)
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