मेरा अनुराग...
जो होती हो हिचक,
तो ना कहो बतियाँ.
जो आती हो नींद,
तो ना जागो रतियाँ.
संभव है प्रणय,
ना दे सको तुम.
मुझे भी पर अनुराग,
तुम्हारी स्वतन्त्रता से है.
संस्कार...
बारह के बाद सीधे,
थर्टीन फोर्टीन करने वाले,
रेयान ने नहीं खाया,
बैंगन का भर्ता कभी.
यों उसे हाईवे ग्रिल का,
रोस्टेड एगप्लांट पसंद है.
दूध का गिलास...
पूरे चार साल बाद,
तुम्हे हाथ में पकडे,
याद आये नखरे,
मनुहार, चिल्ल-पों.
और वो गमला,
दूध पीने वाला.
जो कसम से मेरा,
सबसे अच्छा साथी था.
सच...
माँ को तो सदा,
पसीजा ही देखा.
पर पापा तो कहते हैं,
धीरज है उसमे.
हाँ प्रपात भी तो,
निकलते हैं पर्वत से.
पापा सच ही,
कहते हैं हमेशा.
नागफनी...
या तो तुम बंद कर दो,
दिखावा याराने का.
या तो मैं ही फेंक दूं,
दोस्ती के लिहाज़ का लिहाफ.
बड़ा हुआ तुम्हारा बोया,
नागफनी बाहर आने को है.
पैबंद...
आज वक़्त का आखिरी,
पैबंद लगाया है मैंने,
जिंदगी के लिहाफ पर.
इसे अब ना फाड़ना.
सुना है कब्रिस्तान में भी,
बिना कफ़न जगह नहीं देते.
काई...
धूल ना जमे उन पर,
जब तक तुम नहीं आते.
मैंने यादों को तुम्हारी,
आँसुओं में नम रखा था.
बहुत वक़्त हो गया,
अब मत ही आना.
जम गई है मोटी सी अब,
अवसाद की काई वहाँ.
रिमिक्स....
'मिक्स' का दाल-चावल खाना,
नाश्ते में हर सुबह,
कॉर्नफ्लेक्स खाने वाले,
बच्चे को नहीं भाया.
चीथड़े में लिपटा कोई,
पांच घंटे बाद आया.
उठा कूड़े से, ज़रा पानी दाल,
'मिक्स' बड़े चाव से खाया.
जमाना 'रिमिक्स' का है.
5 टिप्पणियाँ:
बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......
SANJAY KUMAR
HARYANA
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
Avinash Chandra
plz visit my blog
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ur blog was so nice and good
regards
sanjay bhaskar
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
हर क्षणिका एक अंदरूनी एहसास है.....सभी अच्छे,
'पैबंद' बहुत ही बढ़िया
Sanjay ji...
thank u so much.
I'll surely come.
Dhanyawaad Mausi ji......
aapka aana sukundeh hai.
Pranaam
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