क्षणिकाएँ...

रंगरोगन...



तुम्हारी यादों के छींटे,
मिटते ही नहीं.
सोचता हूँ दिल पर,
रंगरोगन करा लूँ.
सुनो!
चूना पीने को,
खुदकशी तो नहीं कहते?









मिठास....


जिस दायें कंधे,
सर रखकर रोये तुम.
कल रात वहीँ,
मच्छरों ने काटा.
उफ़! कितने मीठे थे,
आँसू तक तुम्हारे.









नब्ज़...


काश थाम पाते तुम,
नब्ज़ मेरी कभी.
बसा करती है जो,
तुम्हारी ही पलकों में.
फडकी तो होंगी ही,
रात मेरी मौत से पहले.








लाल रंग...


तुम्हारे इल्जाम,
की फीकी है मेरी हंसी.
सह लिए चुपचाप.
अब तुम जो नहीं,
आँख से खून बहा.
तुम फिर भी ना आये.
क्या वाकई पसंद था,
लाल रंग तुम्हे?






मदर्स डे...


माँ बहुत ऊपर है तू,
तुझे राम नहीं बना सकता.
रामनवमी जन्माष्टमी ठीक है,
मैं मदर्स डे नहीं मना सकता.





साढ़े चार रुपये...


डेढ़ जेबखर्च औ,
तीन पंचर के.
अब्बू आज भी,
आपके साढ़े चार रुपये,
मेरी सबसे बड़ी अमीरी है.





बवंडर...


कल शाम के बवंडर में,
आँखों में धूल पडी.
धुंधला गयी तस्वीर तुम्हारी.
सोचता हूँ मुकदमा कर दूँ,
दिल्ली मौसम विभाग पर.
चेतावनी तो देते,
गोया चश्मा भी नहीं पहने था.





छुटके...


इतना क्यूँ सोचता,
है रे छुटके?
देख अगले जन्म भी,
लक्ष्मण ही बनना.
ये बलराम-कृष्ण का,
कॉन्सेप्ट जमता नहीं मुझे.






फक्र...


जब भी गिरा,
थामते नहीं थे अब्बा.
हाँ उठा कर धूल,
झाड देते थे.
अब्बा कसम अब,
चाँद से भी कूद सकता हूँ.




काँटें...

तुम्हारे लिए मैंने,
कागज़ के गुलाब को,
खून से भिगाया.
सूखे फूल का,
टूटा काँटा आज,
मेरे बहुत काम आया.




बेवकूफ़...

बहुत खुश हैं वो,
जो कहते थे जी,
नहीं सकते मेरे बिना.
बाबा क्या कहा,
खुश हो लिया.
बेवक़ूफ़!
बरगद भी ना...

10 टिप्पणियाँ:

मुदिता said...

Avinash
har kshanika ek se badh kar ek.....

hamesha ki tarah unique avinash..:)
god bless u

Unknown said...

Hey! Avinash,saari kshanikaayein ek se badhkar ek...CHoone wali.....Mother's Day wali......aur do ten aur thin jo mujhe recall nahin ho rahin..:( yeh cope paste ni hota na isliye...

arre yaar tu mujhe alag se bhejna agar time mile to..........khali achhe keh dene se mera jii nahin bhar raha.................:(:(

mujhe machchar wali samajh ni aayi..???? :(:(

:)
haan woh Concept wali zordar hai..besaakhta hansi a agayi thi..:D

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

मिठास....प्यारे एहसास

मदर्स डे...लाजवाब

साढ़े चार रुपये...दिल को छू गयी

बवंडर...बहुत बढ़िया

फक्र...गज़ब विश्वास

काँटें..बिलकुल नया प्रयोग ...

सारी की सारी क्षणिकाएं बहुत अच्छी लगीं

वर्तिका said...

pyaari pyaari meethi meethi kshanikaaein...mujhe naa vo bachpan mein homeopathic ki meethi vaali goliyaan bahut pasand thi...tumhari kshanikaein bhi vaise hi hoti hain.... mithaas mein lipte hue seeekh de jaati hain zindagi jeene ki..... :)

Avinash Chandra said...

Mudita Ji,

:)
Thank u so so much

Avinash Chandra said...

Taru di

Itna likha, abhi aur likhna hai aapko?

:)

Avinash Chandra said...

Sangeeta ji

Bahut bahut shukriya, aapne har kshanika ko itna waqt diya

Avinash Chandra said...

Vartika ji

Itni meethi taareef se sannate me hun, itni mithaas nahi inme ko un meeethi goliyon si lag sakein...apko wo fir se yaad aa gayin, achchha laga...

haan wo goliyaan milein to bataiyega, mujhe bhi bahut pasand hain :)

संजय भास्‍कर said...

सारी की सारी क्षणिकाएं बहुत अच्छी लगीं

संजय भास्‍कर said...

हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।