धूमिल गीत...

मेरे गीतों का लक्ष्य प्रिय,
ना कतई तुमको पाना है.
मैं तो पथ का एक कंकड़ हूँ,
मुझे पथ पर ही रह जाना है.

नहीं शिशिर, आदित्य नहीं,
ना बन के घटा सा छाना है.
बन के एक छोटा सा फाहा,
धूमिल-धूसर हो जाना है.

पुष्प-पराग या खिलती डाली,
श्वेत हंस या कोयल काली.
प्रसंगहीन हैं सब बिन तेरे,
यह इन सबको समझाना है.

जितने मुख हैं उतनी बातें,
मूषक दिन और हथ सी रातें.
रात-रात भर गीत लिखे हैं,
नींद को दिया बहाना है.

आंसू से ही स्याही घोली,
लवण न छलके, पलक ना खोली.
शब्द मेरे पर सब जुगनू हैं,
भोर में सब उड़ जाना है.

तुमको रजनी नाम नहीं दें,
तजा मुझे इल्जाम नहीं दें.
काँटें नहीं समझेंगे बेर के,
अलग से इन्हें बताना है.

होता प्रिय तो बहुत अघाता,
बना अलि हर क्षण इतराता.
किन्तु यह प्रस्ताव नहीं है,
स्वप्न का ताना-बाना है.

जल के तुमको छाया देता,
सूख के देता खाद तुम्हे.
किन्तु मलिन हैं तत्त्व ही मेरे,
सो रखा इन्हें अनजाना है.

जो दृष्टी से एक क्षण गुजरें,
तो अधरों पर विश्राम करें.
आलिंगन का अवलम्ब नहीं,
क्षणभंगुर एक ठिकाना है.

हाँ कहा है तुमको अग्निशिखा,
बन शलभ तुम्ही पर गीत लिखा.
किन्तु कीर्ति की चाह नहीं,
बस भस्म यहीं हो जाना है.

मेरे गीतों का लक्ष्य प्रिय,
ना कतई तुमको पाना है.

11 टिप्पणियाँ:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

हाँ कहा है तुमको अग्निशिखा,
बन शलभ तुम्ही पर गीत लिखा.
किन्तु कीर्ती की चाह नहीं,
बस भस्म यहीं हो जाना है.

सुन्दर प्रस्तुति.....हर रचना लाजवाब होती है...

Avinash Chandra said...

:)

Aap kai dino baad?
Vyast thin?
Beete dino dekha nahi kisi rachna par na...

रश्मि प्रभा... said...

तुम तो बस तुम हो, सबसे अलग

Unknown said...

मेरे गीतों का लक्ष्य प्रिय,
ना कतई तुमको पाना है.
मैं तो पथ का एक कंकड़ हूँ,
पथ पर ही बस रह जाना है.

...path ka kankar???????????? :o

hmmm....woh ek baat suni thi maine......to surrender yourself to the object of love completely including your ego.......thise above lines reflect this thing................:)


नहीं शिशिर, आदित्य नहीं,
ना बन के घटा सा छाना है.
बन के एक छोटा सा फाहा,
धूमिल-धूसर हो जाना है.

again the same thing...koi uunchaayi kisi shreshthta ki chaah nahin................


पुष्प-पराग या खिलती डाली,
श्वेत हंस या कोयल काली.
प्रसंगहीन हैं सब बिन तेरे,
यह इन सबको समझाना है.



जितने मुख हैं उतनी बातें,
मूषक दिन और हथ सी रातें.
रात-रात भर गीत लिखे हैं,
नींद को दिया बहाना है.



मूषक दिन और हथ सी रातें....waaaaaaaaah ! mooshak shabd se kitni zyada sunderta aagayi hai..kabhi socha nahin tha k aise bhi koi use karega choohe aur hathi ko...........wonderfull Avinash.........aur fir bhi kahega k tareefon ka bridge...gadha..x-(


शब्द मेरे पर सब जुगनू हैं,
भोर में सब उड़ जाना है.

...bahut pyaari upmaa.........jugnu wali..badhiyaan

तुमको रजनी नाम नहीं दें,
तजा मुझे इल्जाम नहीं दें.
काँटें नहीं समझेंगे बेर के,
अलग से इन्हें बताना है.

तजा???? yeh kya hota hai..:(:(

ber ke kaante...wowwwwww........kitna masoom likha hai re mote....ber ke kaante nahin samjhenge..hehehe..:)
होता प्रिय तो बहुत अघाता,
बना अलि हर क्षण इतराता.
किन्तु यह प्रस्ताव नहीं है,
स्वप्न का ताना-बाना है.

hmmmmmmmmmmmmmmmmm...ye lines kuch samajh mein aake bhi samajh nahin aayin.....kya yeh kehna chah raha hai..


''
k priya nahin hai....to sab achcha hai....main down to earth hoon...aur yeh koi proposal ya ichha nahin hai..k main use apnilife mein chahta hi chahta hoon...............ye mehaj mere kuch sapne hain...tamanaayein nahin...''

:(:(:( matlab batana...
जल के तुमको छाया देता,
सूख के देता खाद तुम्हे.
किन्तु मलिन हैं तत्त्व ही मेरे,
सो रखा इन्हें अनजाना है.



hmmmmm
जो दृष्टी से एक क्षण गुजरें,
तो अधरों पर विश्राम करें.
आलिंगन का अवलम्ब नहीं,
क्षणभंगुर एक ठिकाना है.



waaaah ! bahut hi anupam panktiyaan huin....ek dum divine beauty wali......

किन्तु कीर्ती की चाह नहीं,
बस भस्म यहीं हो जाना है.

:):)


मेरे गीतों का लक्ष्य प्रिय,


ना कतई तुमको पाना है.




bahut bahut achcha..............virah geet sa hai..magar fir bhi udaasi utni nahin hai.......usse kahin zyada ek tarah ka udaas saundarya bikhra padha hai har jagah har ek shab mein.............




bahut gehre chhu gayi yeh lines aaj wale geet ki............shandaar Avinash........

tum to mere boodhe hone ke pehle apni creations book form mein bana lena..main aaram kursi pe jhoolte hue read karungi....

:):)

god bless you moteeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeee :D

- Taru

Unknown said...

hehehe...zyada lamba ho gaya shayad comment....:(:(

:P

mail kar rahi thi..fir laga yahin aake likhna chahiye...:):)

Avinash Chandra said...

Mausi ji,

Alag...haan, shaayad :)
shukriyaa aane ka

Avinash Chandra said...

Di,

aapke itte saare shabd lag gaye mujh par........:)


taj dena matlab tyaag dena, taja matlab chhod diya...

होता प्रिय तो बहुत अघाता,
बना अलि हर क्षण इतराता.
किन्तु यह प्रस्ताव नहीं है,
स्वप्न का ताना-बाना है.


iska matlab....
agar priya/lovable hota tumhe to bahut khush hota..
ali/bhanwraa ban kar itrata rahta
lekin yah sab prastaav nahi hai...poora na bhi ho..
swapn hai bas, utne se hi khush hun main... :)

ye virah geet nahi hai di....yah saparpan ke beej hain...jisme kabhi udaasee nahi hoti :)


Aur di jyada to hua, par achchha laga jo aapne itna waqt diya :)

kitaab ka to nahi pata par aapke shab thaati ban hamesha aatma ke paas rahenge :)

Unknown said...

arreeeeeeeeeee! maine to ulta matlab samajh liya......:(:(

hmmm...chalo achcha hua clear kiya tune.....:):)

samarpan to hai..khair...shabd shabd mein chhalak raha hai...:):):)

hmmmmmmmmmmm
:):)

Avinash Chandra said...

:)

स्वप्निल तिवारी said...

oye avi.behad behad sundar geet ..lakshyaheen hi sahi..par ek dum apni raah chalta hua...

Avinash Chandra said...

shukriya bhaiya