काला निशान...
अब तो मुझे,
नज़र लगाने का,
इल्जाम ना दो.
डॉक्टर कहता है,
ब्लैक स्पाट है,
मेरे रेटिना पर.
मेरे जख्म.....
कल रात चार बजे,
थमी आँखों की सुनामी.
काश सुबह,
मेरे जख्मों को,
कोई गोद ले लेता.
बोला खुदा...
रात अकेले में,
मस्जिद में बोला खुदा.
मुहोब्बत नहीं करता,
दिल टूटा तो ,
आदमी बन जाएगा.
तुम्हारी शिकायत...
सूरज, ताल, पहाड़ सभी,
पर्यायवाची हैं तुम्हारे.
फिर भी शिकायत है,
तुम्हारा नाम नहीं,
मेरी नज्मों में.
तुम्हारे लिए...
एक रोज शब भर घुला,
अबाबील पी गए मुझे.
दो बूँदें छिटक गयीं,
तुम्हारे आँगन में.
ये बांसों का झुरमुट,
मैं ही तो हूँ.
तुम्हे बाँसुरी पसंद,
है ना बहुत?
माँ...
ए माँ!
जलता है.
इतनी तेज मिर्च.
परवल में छौंका,
डाला है ना.
फोन रखो वरना,
यहीं छींक पडूँगा.
कहानी...
हर कहानी का,
अंत सुखद हो,
जरुरी तो नहीं.
तुम हो,
तुम्हारी कहानी है,
सुखद है.
खुश है फिर,
मेरी जिंदगानी भी.
13 टिप्पणियाँ:
कल रात चार बजे,
थमी आँखों की सुनामी.
काश सुबह,
मेरे जख्मों को,
कोई गोद ले लेता
Tsunami par likh dala..:) hmm...:)
सूरज, ताल, पहाड़ सभी,
पर्यायवाची हैं तुम्हारे.
फिर भी शिकायत है,
तुम्हारा नाम नहीं,
मेरी नज्मों में
yeh wali to shaandaar nazm hui..:):)
हर कहानी का,
अंत सुखद हो,
जरुरी तो नहीं.
तुम हो,
तुम्हारी कहानी है,
सुखद है.
खुश है फिर,
मेरी जिंदगानी भी
hmmmmmmmmmmmmm
dil ko khush rakhne ghalib yeh khayal achha hai..:)
saari kshanikaayein bahut sunder Avinash.....
:)
Di :)
Aapne itna waqt nikala...ab jaa ke nazm hui :)
avi..kala nishaan aur mere zakhm bahut jyada pasand aye..kshanikaon ke to master ho tum .. :)
:)
master??
Aisa kya?
... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
बहुत खूब, लाजबाब !
dhanyawaad
ye le..nahi pata...mujhe tumhare jaisi kshanikayen shayd hi kisi ki lagti hain .. :)khas kar..amm aur abba wali kshanikayen.. :)
:) :)
बहुत खूब ......!!
दिनों बाद इक प्यास बुझी ......!!
Harkirat ji
main is kaam aaya, khushnaseebi hai
Simply great ...
great nahi haai sir,
par aap aaye to achchha laga
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