स्वेद से लथपथ,
दिन हों मेरे.
दूर हों स्थित,
अगणित प्रतिमान.
वचन स्वयं से,
नींद उड़ा दें.
क्षण की कीमत,
का हो भान.
सांझ के नव,
संकल्प की खातिर.
पास हो मेरे,
"मैं" का ज्ञान.
आए जब आदित्य,
गगन पर.
हाथ उठा कर,
दे सम्मान.
किन्तु धीर,
धरा ना छोड़े.
करे विवेक,
द्रूवा का ध्यान.
दिन हों मेरे.
दूर हों स्थित,
अगणित प्रतिमान.
वचन स्वयं से,
नींद उड़ा दें.
क्षण की कीमत,
का हो भान.
सांझ के नव,
संकल्प की खातिर.
पास हो मेरे,
"मैं" का ज्ञान.
आए जब आदित्य,
गगन पर.
हाथ उठा कर,
दे सम्मान.
किन्तु धीर,
धरा ना छोड़े.
करे विवेक,
द्रूवा का ध्यान.
6 टिप्पणियाँ:
बहुत ही सुन्दर और भाव पूर्ण रचना है ...अति सुन्दर
बहुत खूबसूरत रचना....
तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.
aap sabhi ka bahut bahut abhaar :)
sunder shabdo se piroyi apki rachna bahut khoobsurt hai.
Shukriya Anamika ji :)
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