बादल आये,
आकर छाए.
राह निहारे,
रही धरा.
सब भूरिया कर,
लौटे बादल.
इन्द्रधनुष का,
खून बहा.
पोशम्पा ने,
रात बुहारी.
धान ने खोदी,
खुद ही क्यारी.
दिखा के ठेंगा,
लौटे बादल.
खम्भा बिल्ली के,
नाखून थमा.
जाल तहाए,
मछुआरों ने.
मीनों ने,
ऐय्याशी की.
बाज बने और,
लौटे बादल.
घोंघा हर तट,
रेंग रहा.
जा दुबका हर,
सिंह गुफा में.
दादुर को,
साम्राज्य थमा.
बजा के पोंगा,
लौटे बादल,
नाचे बोलो,
मोर कहाँ?
प्यासी वसुधा,
प्यासे पक्षी.
सूखा किसलय,
बोल रहा.
सूखा सूखा,
छितराया है.
इन्द्रधनुष का,
खून बहा.
3 टिप्पणियाँ:
incredible...incredibleeeeeeeeee................... barish sookhe ko kitne ghazab tareeke se likha hai avi ...
:)
Sukriya shukriya
beautiful......
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