बेख़ौफ़ मुहोब्बत का,
हुनर दे गए तुम.
उड़ने की दे तमन्ना,
पर पत्थर कर गए तुम.
मिलते कभी थे,
यूँ ही गाहे बगाहे.
मुझको बिछड़ने का,
डर दे गए तुम.
क्या कह पुकारूँ,
तुम्हे नाम क्या दूँ.
के सूखे जजीरे को,
तर कर गए तुम.
दजले बहा के,
यूँ गुन्चे खिला के.
गुलशन को खुशबू,
बदर कर गए तुम.
अब नाम अपना,
खुद ही कोई रख लो.
मेरे होठों को बेजुबानी,
नज़र कर गए तुम.
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