जादूगरी...

रात कुछ खाया,
नहीं अम्मा.
तुमने सिखाया भी,
तो नहीं मुझे.
चावल नहीं होता,
तो देर तक पानी,
कैसे उबालती हो?
गोभी सिल पर पीस,
कैसे बनाती हो,
आलू की सब्जी?
पालक के रस से,
कैसे गूँथती हो,
रोटियाँ माँ तुम?
निपुण हाथों से भी,
कैसे दूध फट रोज,
छेना बन जाता है?
बिना चायपत्ती सिर्फ दूध की,
चाय कैसे अम्मा?
पुदीने पीस कर,
इमली की चटनी,
आखिर कैसे अम्मा?
हर बार पानी,
कैसे चला जाता है,
दाल बनाते अम्मा?
माँ अबकी आऊँ तो,
केले के बनाना समोसे,
अरबी को आलू बनाना.


तुम्हे तो हज़ार,
आते हैं मैया.
हर जादू माँ,
हर बार दिखाना.

1 टिप्पणियाँ:

स्वप्निल तिवारी said...

mujhe teenon me sabse jyada yahi nazm pasand aayi avi ...... :) bade achhe bhaav hain ..apni maa ki bhi kuch baaten yaad aa gayeen .. :)