प्रीत पर्ण पर,
पाती लिख दो.
कर्ण हमारे,
सुन लेंगे.
फूल कपास के,
जो पाएँगे.
स्नेह की चादर,
बुन लेंगे.
मैना को,
मनुहार सुना दो.
धप जड़ दो,
एक शीशम को.
प्रेम जहां भी,
छितराओगे.
हम पलकों से,
चुन लेंगे.
गीत तनिक,
तुलसी को सुनाओ.
ज़रा सजाओ,
कलसी को.
खींच के धड़कन,
को वीणा पर.
साज तुम्हारे,
गुन लेंगे.
तुमको जो भी,
रस भा जाए.
अपना लेना,
उसको ही.
हमको वो ही,
रस प्यारा है.
हम भी वो ही,
धुन लेंगे.
पाती लिख दो.
कर्ण हमारे,
सुन लेंगे.
फूल कपास के,
जो पाएँगे.
स्नेह की चादर,
बुन लेंगे.
मैना को,
मनुहार सुना दो.
धप जड़ दो,
एक शीशम को.
प्रेम जहां भी,
छितराओगे.
हम पलकों से,
चुन लेंगे.
गीत तनिक,
तुलसी को सुनाओ.
ज़रा सजाओ,
कलसी को.
खींच के धड़कन,
को वीणा पर.
साज तुम्हारे,
गुन लेंगे.
तुमको जो भी,
रस भा जाए.
अपना लेना,
उसको ही.
हमको वो ही,
रस प्यारा है.
हम भी वो ही,
धुन लेंगे.
1 टिप्पणियाँ:
बहुत सुन्दर नव गीत है ।
Post a Comment