नेक तालीम....

था तो होशियार ही,
सबसे मदरसे में.
स्कूल में भी वो,
अव्वल ही रहा.
काबिलियत के पर,
क़तर ना सकीं.
मोटी पतली मुश्किल,
किताबें कालेज की.
नाज अब्बू का,
उस्तादों का ताव.
अम्मी का सुकून,
यारों का लगाव.
इंसानी जज्बात और,
रूहानी अल्फाज के बीच.
बस एक गलत लफ्ज़,
पढा था उसने.
आज भी जब,
होती है शिकायत.
गिले की जगह जुबान,
दुआ ही पढ़ती है.

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