चाहा सभी ने,
है तो थोडा ही.
के थोडा और होता,
तो थोडा अच्छा था.
थोडी और खुशियाँ,
थोड़े और सुख,
जुटा पाते हम.
दिखा पाते थोड़े,
और लोगों को,
थोडी और चीजें.
थोडी और मेहनत,
थोडी और बचत,
थोडा और त्याग,
थोडी और चोरी,
थोड़े और कस्ट,
थोड़े और दिन,
चलो सहते हैं.
थोडी सी है जिन्दगी,
चलो थोडा और,
रोज मरते हैं.
1 टिप्पणियाँ:
वैसे भी हम रोज़ थोडा थोडा मरते ही है ।
Post a Comment