मूज के दो हाथ दे दो,
एक कच्चा बाँस दो.
छील लूंगा बाँस को मैं,
हँसिया मेरे हाथ दो.
तान दूंगा मैं धनुष अब,
मोड़ के इस बार तो.
बाण लाऊँगा बना बस,
धीर को विस्तार दो.
है नहीं गांडीव तो क्या?
ना अक्षय तूणीर तो क्या?
कर्ण मत समझो मुझे पर,
बस तनिक विश्वास दो.
नहीं मुझमे सूर्य उष्मा.
हाँ नहीं है वज्र सुषमा.
मुझमे रघु का तत्त्व नहीं है,
पास हैं बस हाथ दो.
किन्तु साथ पुरुषार्थ मेरा,
साहस है भावार्थ मेरा.
बाँध दूंगा यह तिमिर मैं,
दीप मुझको नाम दे दो.
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