मौसम....
बीती बहार में,
तीन पंखुडियाँ चुरा,
लीं थीं तुमसे मैंने।
कल तुमने वादा,
हक़, याद तक,
छीन ली मुझसे।
माह-ए-अक्टूबर,
पतझड़ है मेरा।
गीली नज़्म...
कूची उठाई,
घोले रंग।
मुझसे मेरे,
बोले रंग।
नज़्म चितेरे,
गीत रचयिता।
आज हमारे,
कैसे संग?
कह दूँ कैसे,
कोई मांगे।
रंगीन दोहे,
गीली नज़्म।
वजह......
अम्मा चूडियाँ तो,
उतार लिया करो,
मारते वक़्त मुझे।
मुझे तो लगती नहीं,
तेरी कलाईयाँ,
कट जाती है।
पापा कहते हैं,
माएँ प्रायश्चित,
करती हैं पहले,
फिर गुस्सा जताती हैं।
समझ का फेर....
थे सद्गुणों के,
सुविचारों और,
सौम्य जीवन के घोतक।
आचरण मनीषियों के।
आचमन का ठठा कर,
अपमान किया।
परफेक्ट प्रेशर शावर,
लगवाने वालों ने।
अक्षमता....
सदा मधु-उल्लास,
ही नहीं होती,
कूक कोयल की।
बस भेद नहीं,
कर पाते हम।
काश यही अक्षमता,
आ जाती हममे,
माँ-पिता मित्रों हेतु।
भौतिकता...
पुलकित हिय के,
गीत को जलाने।
काफी हैं तुलना के,
तनिक पैमाने।
मन के रच नहीं,
चाहिए रखने।
भौतिक बाट पर...........
सब समझे...कौन जाने...???
बीती बहार में,
तीन पंखुडियाँ चुरा,
लीं थीं तुमसे मैंने।
कल तुमने वादा,
हक़, याद तक,
छीन ली मुझसे।
माह-ए-अक्टूबर,
पतझड़ है मेरा।
गीली नज़्म...
कूची उठाई,
घोले रंग।
मुझसे मेरे,
बोले रंग।
नज़्म चितेरे,
गीत रचयिता।
आज हमारे,
कैसे संग?
कह दूँ कैसे,
कोई मांगे।
रंगीन दोहे,
गीली नज़्म।
वजह......
अम्मा चूडियाँ तो,
उतार लिया करो,
मारते वक़्त मुझे।
मुझे तो लगती नहीं,
तेरी कलाईयाँ,
कट जाती है।
पापा कहते हैं,
माएँ प्रायश्चित,
करती हैं पहले,
फिर गुस्सा जताती हैं।
समझ का फेर....
थे सद्गुणों के,
सुविचारों और,
सौम्य जीवन के घोतक।
आचरण मनीषियों के।
आचमन का ठठा कर,
अपमान किया।
परफेक्ट प्रेशर शावर,
लगवाने वालों ने।
अक्षमता....
सदा मधु-उल्लास,
ही नहीं होती,
कूक कोयल की।
बस भेद नहीं,
कर पाते हम।
काश यही अक्षमता,
आ जाती हममे,
माँ-पिता मित्रों हेतु।
भौतिकता...
पुलकित हिय के,
गीत को जलाने।
काफी हैं तुलना के,
तनिक पैमाने।
मन के रच नहीं,
चाहिए रखने।
भौतिक बाट पर...........
सब समझे...कौन जाने...???
4 टिप्पणियाँ:
अविनाश जी आपकी कूची के रंग ने तो छटा बिखेर दी..बहुत ही सुंदर रचना है ..शब्दों का चयन कमाल का है..लिखते रहें..
हो सके तो word verification को हटा लें..
आप की हर एक पंक्तियों पर मुग्ध हूँ, बहुत ही सुन्दर रचना ।
अच्छी लगी यह छोटी-छोटी कवितायें -शरद
Ajay ji... hata liya hai
dhanyawaad
Chandan ji evam Sharad ji........aapka bhi bahut shukriya
Post a Comment