नज्में कलाई पर...



किसी अबाबील को,
शरद की ओस का,
सच्चा लालच दे,
मंगाती हैं रंग,
समय की दुकान से.

तरेर के आँखें,
चिढाती हैं कि,
गर्म हो सूरज.
और बरसात में से,
चुन के उड़ाए,
केवल गंगाजल.

चावलों के बाद,
रोज खाती हैं,
तुलसी के गुच्छे.
साँसें भी बस,
पावन ही निकलें.

कहती हैं नासपीटा,
बेचारे कपास को.
ताकि सहमा हुआ वो,
चुपचाप दे जाए,
सबसे अच्छा रेशा.

कात कर वक़्त,
अपने सपनों से,
गूंथती हैं रोज,
नीले-पीले-गुलाबी,
चमकीले धागे.

रात छुप के,
करती हैं इन्तजार.
और धप तोड़,
पहला हरसिंगार,
जड़ देती हैं धागों पर.
आँखों में जमाया,
गाढ़ा गोंद निकाल.

माँग कर फुर्सत,
कृष्ण-राम-दुर्गा से.
करती हैं आराधना.
शायद इस बार,
सुन लें चिट्ठीरसां.

वो धागों से ही रखती हैं,
आँख भाई पर.
जो हँसती हैं तो बजती हैं,
नज्में कलाई पर.

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बहनें भी....

बुखार हो,
और माँग बैठूँ,
पानी कभी.
ये सोच के,
कम सोती हैं.
दीदी हों, गुडिया हों,
बहनें भी,
माएँ होती हैं.

17 टिप्पणियाँ:

रचना दीक्षित said...

बेहतरीन प्रस्तुति. बहना ने भाई की कलाई पर प्यार बांधा और उसने स्वीकारा.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

कात कर वक़्त,
अपने सपनों से,
गूंथती हैं रोज,
नीले-पीले-गुलाबी,
चमकीले धागे.

वाह ...बहुत सुन्दर भाव ...

संजय @ मो सम कौन... said...

बहुत खूबसूरती से उकेरा है इस पावन रिश्ते को,
बधाई हो अविनाश।

ZEAL said...

बहुत सुन्दर भाव ...

Gazal Bharadwaj said...

Lovely. Read a poem with this kind of touch after a long tym.....

mai... ratnakar said...

yaar, zabardast likha hai, itana achchha padhane ke baad yehi kahoonga ki is "nazmen kalai par" naheen "namzmen dil par" kaha jae

Manoj K said...

अतुलनीय, अद्भुत...आपकी कलम का जादू

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

राखी का बनावट एतना सुंदर ढंग से प्राकृतिक उपमा से सुसज्जित कर आप प्रस्तुत किए हैं कि राखी का महिमा जीवंत हो गया है...अऊर सम्पूर्ण प्रकृति कलाई पर मूर्त्त हो गया...अऊर बहिन का स्वभाव बताकर त आप उद्वेलित कर दिये!!!

वर्तिका said...

dono hi posts bahut hi acchi lagin avi.... raakhi vaali ki imagery to bas tooo gud.... behad pyaari pyaari..dill khush kar dene waali..... aur antim panktiyaan to hats off types.......hehe :)

प्रतुल वशिष्ठ said...

बुखार हो,
और माँग बैठूँ,
पानी कभी.
ये सोच के,
कम सोती हैं.
दीदी हों, गुडिया हों,
बहनें भी,
माएँ होती हैं.

_________ अत्यधिक भावपूर्ण.

के सी said...

कुछ पंक्तियाँ तो संजीदा कर जाती है.
बहुत खूबसूरत.

रश्मि प्रभा... said...

her pyaar ek nazm hi to hai

Parul kanani said...

bahut hi umda!

प्रवीण पाण्डेय said...

उन्नत प्रस्तुति।

दिगम्बर नासवा said...

सच है बहने कुछ हद तक मां ही होती हैं ..... और वो दोस्त भी होती हैं .. राज़दार भी होती हैं ... बहुत अच्छा लिखा है ...

Archana Chaoji said...

pahalee baar padha..........fir aanaa hai .......

Avinash Chandra said...

बहुत शुक्रिया आप सभी का...