इस जीवन का प्रिय,
एक दिन और बीता।
आज भी ना आये तुम,
मैं फिर से रह गयी रीता।
तुमने मेरी सुधि बिसारी,
मेरी सहचर याद तुम्हारी।
आँखों के मोती से सींची,
कुचले सपनो की ये क्यारी।
हर मजबूरी है तुमको ही,
मैं तो बस खुद से ही हारी।
पलक झपकना भूल गयी हैं,
देखते देखते राह तुम्हारी।
तुम आये ना आया सावन,
होली भी ना थी मनभावन।
बस महकी थोडी फुलवारी,
फिर आयी है याद तुम्हारी.
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