तुम्हारे खतों का आना,
मेरा पढ़ना,
रोना,चुपके से
और कभी कभी,
खिलखिला देना,
चांदनी बिखरा के।
जारी है,
सतत, अनवरत,
पाँच साल से।
पूछना तुम्हारा,
कैसे हो???
अच्छे होगे.......
खुश ही होगे,
मैं भी ठीक हूँ,
चिंटू के पापा भी।
खरीदी पिछले महीने,
नयी एक गाडी है।
सतत, अनवरत।
पाँच साल से।
कैसे लिखूं???
पाँच साल पहले,
तुमने दिल तोडा था।
अब धड़कन टूट रही है,
मुझे दिल की बीमारी है,
पाँच......................साल से........
1 टिप्पणियाँ:
काव्य सीखने का मन हुआ आज… तो पाठ्यपुस्तक पलटी है… शुरुआत से।
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