स्मरण मुझे मत रखना,
नहीं हूँ कोई मैं राजा.
मेरी हार-जीत या क्षय से,
किसे फर्क पड़ने वाला.
सौ घट-गुम्बद, कोट तमाम,
गज शिख बैठे राजा की शान.
मैं हूँ सिपाही धूल का,धूल में,
जीत के भी मिलने वाला.
गर्त से खींचा,रक्त से सींचा,
शमशीर,गदा, बल मंजूषा.
अग्निबाण नहीं था केवल,
हाथ में था बरछा भाला.
स्वर्ण का कुंडल नहीं था मेरा,
लोहे की तलवार थी बस.
खून बहाया मैंने अपना,
कवि ने राजन राजन लिख डाला.
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