कैद...
मेरी लाश पर आज,
मेरा कफ़न अकेला रोया।
कैद कर जिस्म में वजूद मेरा,
बन के लिहाफ मुझ संग सोया।
माँ भी न....
कल रात बहुत भीगा,
छींकता रहा रात भर।
बारिश का महीना है,
सब डांट रहे थे ,
अम्मा भी,
" मुए बादलों,
कोई और जगह नहीं मिली?"
नीयत....
कुछ लोगों के,
व्याकरण भी अजीब हैं।
गंदे उन्हें नापाक,
दिखायी देते हैं।
कभी कोई साफ़,
माली देखा है तुमने?
कुछ ख़ास लोगों के लिए...
मेरे शहर की एक,
ख़ास मिठाई है,
गुड की जलेबी।
गुड-चीनी से बनी।
कल रात मुझे,
गुड और चीनी ,
दोनों ही मिले।
मैं कल रात,
घर हो आया.
0 टिप्पणियाँ:
Post a Comment