किंचित बलवान अवश्य हो तुम,
अपार लहू भी तुमने पीया है।
परन्तु एक बात बताओगे वज्र?
अतीत के पराक्रम पर कौन जिया है?
बिना कुछ किये धरे,
बस बैठ पूर्वजों की कथा बाँचो।
सुन के सब चौपाल से जायेंगे,
तुम्हारा ठेका किसने लिया है?
अवतार भले राम थे,
निस्संदेह अत्यंत महान थे।
न्यायप्रिय परीक्षित थे,
विद्वान् बीरबल-तेनालीराम थे।
माना पूर्व में किया पुण्य,
यूँ ही ख़तम नहीं होता।
पुरखों की कीर्ति गाना,
कभी अधम नहीं होता।
लेकिन बन्धु भूत को,
वर्तमान ने कब जिया है?
सूर्य तक ने तेज अपना,
संचय आखिर कब किया है?
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