अंश....


सुनो!
तुम भी दे दो कुछ.
क्या?
अनुराग नहीं दे सकते?
ठीक है, द्वेष या इर्ष्या के,
कुछ शब्द ही दे दो.
वो भी नहीं तो,
श्राप तो दे सकते हो.
बिना कुछ लिए तो,
न जाऊँगा मित्र.
कंटीली बाड़ ही सही,
मेरी समाधि में अंश,
तुम्हारा भी होगा.

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